परिभाषा( Definition):- कंप्यूटर एक ऐसी इलेक्ट्रॉनिक मशीन है जो उपयोगकर्ता द्वारा दिए गए आदेशों एवं निर्देशों के अनुसार आंकड़ों पर क्रिया करके वांछित सूचनाएं प्रदान करती है।
अथवा
कंप्यूटर एक तीव्र गणना करने वाली मशीन है जो किसी भी प्रकार के अंक गणितीय गणनाओं के साथ-साथ तार्किक क्रियाएं भी कर सकती है।
कंप्यूटर की विशेषताएं:-कंप्यूटर की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित है।
1- गति:-कंप्यूटर किसी भी कार्य को मानव की तुलना में बहुत ही तीव्र गति से कर सकती है। सामान्य कंप्यूटर सेकंड के 1 लाखवें हिस्से में काम कर सकता है।
2- संग्रहण क्षमता:- कंप्यूटर बहुत अधिक संख्या में आंकड़ों को संग्रह कर सकता है।संग्रह की गई सूचना को बरसों बाद भी उसी शुद्धता के साथ प्राप्त किया जा सकता है।
3-शुद्धता:- कंप्यूटर द्वारा की गई घटनाओं की शुद्धता मानव द्वारा की गई घटनाओं की तुलना में काफी अधिक होती है। कंप्यूटर उसी दशा में गलत परिणाम देता है जब उसके एल्गोरिथ्म में कोई त्रुटि हो या गलत डाटा डाटा इनपुट के रूप में दिया गया हो।
4- व्यापकता :- कंप्यूटर दक्षता से अनेकों प्रकार के कार्यों को सरलता पूर्वक कर सकता है।
5- स्वचालन :- कंप्यूटर में डाटा को इनपुट करके जरूरी निर्देश देने के पश्चात स्वता ही कार्य को शुरू करके पूर्ण कर देता है।
7- विश्वसनीयता:- यदि हम गलत इनपुट ना दे तो कंप्यूटर द्वारा शत प्रतिशत सही परिणाम प्राप्त होता है।
8- बहु प्रयोग :- कंप्यूटर का प्रयोग दैनिक जीवन से लेकर वैज्ञानिक कार्यों तक में आवश्यकतानुसार किया जा सकता है।
कंप्यूटर की सीमाएं:- कंप्यूटर के गुणों के साथ-साथ कंप्यूटर में अभी भी कुछ कमियां हैं जो निम्न वत है।
1-भावना रहित:- कंप्यूटर में किसी भी प्रकार की भावना नहीं होती।
2- आत्मरक्षा की कमी:- कंप्यूटर सता अपनी रक्षा करने में सक्षम नहीं है।
3- बुद्धिहीनता :- कंप्यूटर स्वत: कोई निर्णय नहीं ले सकता वह हमारे दिए गए निर्देशों पर कार्य करता है।
- शिक्षा के क्षेत्र में
- चिकित्सा के क्षेत्र में
- इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में
- रेलवे एवं हवाई आरक्षण के क्षेत्र में
- बैंकिंग के क्षेत्र में
- चिकित्सा के क्षेत्र में
- मौसम की भविष्यवाणी के क्षेत्र में
- कार्टून और एनिमेशन फिल्में बनाने में
- विभिन्न प्रयोगशालाओं में
- यातायात के क्षेत्र में
कम्प्युटर का इतिहास
कंप्यूटर एक जटिल एवं बहु उपयोगी मशीन है। इस मशीन का विकास उस रूप में नहीं हुआ जैसा कि यह आज हमारे सामने दिख रहा है। कंप्यूटर के विकास में कई मशीनों का महत्वपूर्ण योगदान है। कंप्यूटर विकसित की गई मशीनों में लगातार एवं उपयोगी सुधार करके मनाई गई एक जटिल मशीन है। कंप्यूटर के विकास में योगदान देने वाली प्रमुख मशीनें निम्नवत है।
1- अबेकस :- अबेकस का निर्माण 4000 इसवी पूर्व चीन में हुआ था। अबेकस एक आयताकार ढांचा होता है जिसमें छडे़ 10 होती हैं। प्रत्येक छड़ में 7 मोती होते हैं। ये मोती ऊपर नीचे खिसकाये जा सकते हैं। इन छड़ो को बीच से विभाजित करती हुई एक पट्टी होती है जिसे डिवाइडर कहते हैं ।डिवाइडर के ऊपर का भाग हैवेन तथा डिवाइडर के नीचे का भाग अर्थ कहलाता है। हैवेन में दो मोती जबकि अर्थ में 5 मोती होते हैं।
2- नेपियर बोन(Napier Bones):- सन 1617 ईस्वी में स्कॉटलैंड के गणितज्ञ जॉन नेपियर ने कुछ ऐसी हड्डियों से बनी आयताकार पट्टियों का निर्माण किया जिन पर अंक खुदे होते थे । आयताकार पट्टियों की संख्या 10 होती थी। इन आयताकार पट्टियों सहायता से लघुगणितीय तथा आसानी से की जा सकती थी। इस मशीन के द्वारा जोड़ घटाव गुणा तथा भाग की क्रिया आसानी से की जा सकती थी।
3- स्लाइड रूल:- सन 1621 में स्लाइड रूल का आविष्कार विलियम आटरेड ने किया था। इसे प्रथम एनालॉग कंप्यूटर भी कहा जाता है। इसके द्वारा गुणा तथा भाग की क्रियाएं लघु गणितीय सारणी की सहायता से की जा सकती हैं। इसमें दो चिन्हित पटि्टया होती हैं जिन्हें बराबर में रखकर आगे पीछे सरकाया जाता था।
4 एडिंग मशीन:- सन 1642 में फ्रांसीसी गणितज्ञ ब्लेज पास्कल ने एडिंग मशीन का आविष्कार किया। इस मशीन में कई दातेंदार चक्र तथा डायल होते थे। प्रत्येक चक्र में 10 भाग होते थे जो आपस में इस प्रकार जुड़े होते थे कि कोई चक्र यदि एक बार घूमता तो उसके बाएं और का चक्र 1/10 भाग घूमता। इस मशीन के द्वारा संख्याओं को जोड़ा तथा घटाया जा सकता था।
5 लेबनिज कैलकुलेटर :- जर्मन दार्शनिक तथा गणितज्ञ गाटफ्रेड लेबनिज ने सन 1672 में एडिंग मशीन में सुधार करके रेकनिंग मशीन का आविष्कार किया। इस मशीन की सहायता से जोड़ घटाव गुणा तथा भाग की क्रियाएं की जा सकती थी।
6 मल्टीप्लाइंग मशीन:- फ्रांसीसी इंजीनियर थॉमस डी कॉल्मर ने सन 1820 में मल्टीप्लाइंग मशीन का विकास किया। यह एक यांत्रिक कैलकुलेटर था जो जोड़ घटाव गुणा तथा भाग की क्रियाएं तीव्र गति से कर सकता था।
7 जैकार्ड लूम:- सन 1801 में फ्रांसीसी बुनकर जोसेफ जैकार्ड ने एक ऐसी मशीन बनाई जो कपड़ों में डिजाइन या पैटर्न स्वत: देती थी। इस मशीन की यह विशेषता थी कि यह बुनाई में डिजाइन डालने के लिए कार्ड बोर्ड के छिद्रयुक्त पंच कार्डों का प्रयोग करती थी। इस मशीन ने एक नई विचारधारा को जन्म दिया कि सूचनाओं को मशीनों में संग्रहित किया जा सकता है जो कंप्यूटर के विकास में बहुत उपयोगी साबित हुआ।
8 डिफरेंस इंजन:- इस मशीन का आविष्कार अंग्रेज गणितज्ञ चार्ल्स बैबेज ने सन 1820 ईस्वी में किया था। उन्होंने पंच कार्ड की सहायता से गणितीय सारणी बनाइए तथा छापी। इस मशीन में गियर और साफ्ट का प्रयोग किया गया तथा यह भाव से चलती थी। यह मशीन धन के अभाव के कारण पूर्ण रूप से कभी बन नहीं पाई।
9 एनालिटिकल इंजन:- इस मशीन का आविष्कार अंग्रेज गणितज्ञ चार्ल्स बैबेज ने 1833 ईस्वी में किया था। वास्तव में उन्होंने इस मशीन का डिजाइन तैयार किया जो आज के आधुनिक कंप्यूटरों से मिलती जुलती थी। उनके द्वारा निर्मित यह यंत्र कई प्रकार के गणितीय घटनाओं के साथ-साथ तार्किक क्रियाओं को करने में सक्षम था। यह मशीन भी धन के अभाव में पूर्ण रूप से बन नहीं पाई। इस मशीन में जिस सिद्धांत का प्रयोग किया गया था उसी सिद्धांत के आधार पर भविष्य में आधुनिक कंप्यूटरों का विकास हुआ इसीलिए चार्ल्स बैबेज को फादर ऑफ मॉडर्न कंप्यूटर भी कहते हैं।
10 सेन्सस टेबुलेटर:- इस मशीन का आविष्कार 1880 में अमेरिकन निर्माता हर्मन होलेरिथ ने किया। इस मशीन में पंच कार्ड का प्रयोग किया गया था तथा यह विद्युत से चलती थी। यह मशीन कार्डों को छांट तथा गिन सकती थी। इस मशीन का व्यवसायिक उत्पादन किया गया तथा इसकी सहायता से अमेरिका में जनगणना का कार्य भी संपन्न हुआ। इस मशीन के निर्माताओं ने 1896 ईस्वी में टेबुलेटिंग मशीन कंपनी बनाई। बाद में इसी कंपनी का नाम बदलकर इंटरनेशनल बिजनेस मशीन कॉरपोरेशन रख दिया गया जिसने कंप्यूटर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
11 मार्क 1:- मार्क 1 का आविष्कार आईबीएम के 4 इंजीनियरों द्वारा हाबर्ड आईकेन के नेतृत्व में सन 1944 इस्वी में किया गया था। इस मशीन का पूरा नाम पूछा आटोमेटिक सिक्वेंस कण्ट्रोल्ड कैलकुलेटर रखा गया। बाद में इसका नाम बदलकर मार्क वन रख दिया गया। यह विश्व का पहला विद्युत इलेक्ट्रॉनिक कम्प्युटर था।
कंप्यूटर की पीढ़ियां
डिजिटल कंप्यूटर के विकास को निम्नलिखित 5 पीढ़ियों में वर्गीकृत किया गया है। यह वर्गीकरण कंप्यूटर में प्रयुक्त होने वाले हार्डवेयर एवं तकनीक के आधार पर किया गया है।
1- प्रथम पीढ़ी :- इस पीढ़ी के कंप्यूटरों में निर्वात बल्ब (वेक्यूम ट्यूब) का प्रयोग किया गया। इस पीढ़ी का कार्यकाल 1945 से 1955 माना जाता है। इस पीढ़ी का प्रथम कंप्यूटर ENIAC ( ELECTRONIC NUMERIC INTEGRATOR AND CALCULATOR) है। ENIAC के आधार पर जॉन वॉन न्यूमैन ने एक नया कंप्यूटर बनाया जिसका नाम वॉन न्यूमैन मशीन रखा गया। आधुनिक डिजिटल कंप्यूटर मैं जिस डिजाइन का प्रयोग किया जाता है वह जान न्यूमैन मशीन पर ही आधारित है। इस पीढ़ी के अन्य प्रमुख कंप्यूटर EDSAC ( ELECTRONIC DELAY STORAGE AUTOMATIC CALCULATOR), EDVAC ( ELECTRONIC DISCRETE VARIABLE AUTOMATIC COMPUTER), UNIVAC (UNIVERSAL AUTOMATIC COMPUTER) आदि है।
प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटरों की विशेषताएं
1- यह बहुत बड़े होते थे।2- इस पीढ़ी के कंप्यूटरों में वेक्यूम ट्यूब का प्रयोग किया गया था।
3- इन कंप्यूटरों की गति बहुत कम थी तथा यह अधिक विश्वसनीय नहीं थे।
कंप्यूटर का वर्गीकरण
- उद्देश्य के आधार पर
- आकार के आधार पर
- तकनीक के आधार पर
- विशेष उद्देश्यीय कंप्यूटर
- सामान्य उद्देश्यीय कंप्यूटर
- यांत्रिक उद्देश्यीय कंप्यूटर
- माइक्रो कंप्यूटर
- मिनी कंप्यूटर
- मेनफ्रेम कंप्यूटर
- सुपर कंप्यूटर
- डेस्कटॉप कंप्यूटर
- लैपटॉप कंप्यूटर
- पॉपटाप कंप्यूटर
- एनालॉग कंप्यूटर
- डिजिटल कंप्यूटर
- हाइब्रिड कंप्यूटर
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