HARDWARE(हार्डवेयर)
Any electronic mechanical or electromechanical device that make up a computer is known as hardware. For example CPU disk drive keyboard etc.
All the physical component of computer system is called hardware.
कंप्यूटर के भौतिक भागों (जिन्हें हम देख अथवा छू सकते हो) को हार्डवेयर कहा जाता है।
कंप्यूटर हार्डवेयर को तीन भागों में बांटा गया है।
1आगम इकाई (input unit)
2 केंद्रीय प्रसंस्करण इकाई (central Processing Unit)
3 निर्गम इकाई (output unit)
1-आगम इकाई (input unit) :-Input unit is used to to take input (data, information and instruction)from user.
इनपुट यूनिट का प्रयोग उपयोगकर्ता से इनपुट (डाटा, सूचना एवं निर्देश) लेने के लिए किया जाता है।
कुछ प्रमुख इनपुट उपकरण निम्नवत है ।
All the physical component of computer system is called hardware.
कंप्यूटर के भौतिक भागों (जिन्हें हम देख अथवा छू सकते हो) को हार्डवेयर कहा जाता है।
कंप्यूटर हार्डवेयर को तीन भागों में बांटा गया है।
1आगम इकाई (input unit)
2 केंद्रीय प्रसंस्करण इकाई (central Processing Unit)
3 निर्गम इकाई (output unit)
1-आगम इकाई (input unit) :-Input unit is used to to take input (data, information and instruction)from user.
इनपुट यूनिट का प्रयोग उपयोगकर्ता से इनपुट (डाटा, सूचना एवं निर्देश) लेने के लिए किया जाता है।
कुछ प्रमुख इनपुट उपकरण निम्नवत है ।
1-कीबोर्ड
2-माउस
3-जॉय स्टिक
4-लाइट पेन
5-स्कैनर
आदि
1-keyboard:- कीबोर्ड कंप्यूटर की सबसे प्रमुख इनपुट इकाई है। इसका प्रयोग कंप्यूटर में डाटा एवं निर्देशों को इनपुट करने के लिए किया जाता है। कीबोर्ड में 101 या उससे अधिक की हो सकती हैं। कीबोर्ड के की को तीन भागों में बांटा जा सकता है।
1-Alphabetic key:- अल्फाबेटीक की कुल संख्या 26 (A to Z)होती है । यह की कीबोर्ड के बीच में होते हैं। इनका प्रयोग अल्फाबेट को इनपुट करने के लिए किया जाता है।
2-Numeric key:-न्यूमैरिक की कुल संख्या 10 (0 से लेकर 9 तक)होती है। यह कीबोर्ड में दो जगहों पर स्थित होते हैं। अंको को इनपुट करने के लिए किया जाता है।
3-Special character key:- इन कीज का उपयोग विशेष चिन्हों (#,@,+,(,),",*,:,,; आदि)को इनपुट करने के लिए किया जाता है।
4-Arrow key:- Arrow की कुल संख्या 4 होती है। इसका प्रयोग एरो को चार अलग-अलग दिशाओं में ले जाने के लिए किया जाता है। ये कीबोर्ड में दो जगहों पर स्थित होते हैं।
5-Special key:- इन कीज का उपयोग विशेष कार्यों को करने के लिए किया जाता है। कुछ प्रमुख स्पेशल कीज निम्नवत हैं।
Enter, Caps lock, Backspace, Tab, Delete, Escape, Alt,Ctrl, Insert आदि।
6-Function key:- फंक्शन की का प्रयोग अलग अलग सॉफ्टवेयर में अलग अलग होता है। कल संख्या 12 (F1से F12 तक)होती है। यह कीबोर्ड की प्रथम पंक्ति में स्थित होती है।
2-Mouse:- माउस का आविष्कार सन 1977 मैं स्टैनफोर्ड लैबोरेटरी के वैज्ञानिक "डग्लस सी इ जेलवर्ट" ने किया था। इसका प्रयोग ग्राफिकल यूजर इंटरफेस आधारित ऑपरेटिंग सिस्टम में किया जाता है। मैं दो या तीन बटन होते हैं। इसका प्रयोग कर सर को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। इसकी सहायता से क्लिक, डबल क्लिक, राइट क्लिक, ड्रैगन ड्रॉप आदि क्रियाएं की जाती हैं। इसे पवाइंटिंग डिवाइस भी कहते हैं। माउस निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं।
1-mechanical Mouse
2-optical mouse
3-cordless mouse
6-स्कैनर:- कागज के ऊपर उपलब्ध किसी भी दस्तावेज अथवा तस्वीर को कंप्यूटर के मेमोरी में डिजिटल रूप में संग्रहित करने के लिए स्केनर का प्रयोग किया जाता है। स्केनर दस्तावेज को इलेक्ट्रॉनिक रूप में कंप्यूटर की मेमोरी में संग्रहित कर देता है।
7-ऑप्टिकल मार्क रीडर:- ऑप्टिकल मार्क रीडर को OMR भी कहा जाता है। इसका प्रयोग कागज पर पेंसिल या पेन के चिन्ह की उपस्थिति या अनुपस्थिति की जांच करने के लिए किया जाता है। इसका प्रयोग मुख्यत: उत्तर पुस्तिका के मूल्यांकन में किया जाता है।
8-बार कोड रीडर:- बारकोड रीडर का प्रयोग किसी व्यवसायिक उत्पाद के पैकेट पर छपे कोड को पढ़ने के लिए किया जाता है। इसके द्वारा उत्पाद से संबंधित जानकारी प्राप्त होती है। इसका प्रयोग शॉपिंग मॉल में एवं बड़े शहरों की दुकानों में किया जाता है।
9-मैग्नेटिक इंक कैरेक्टर रीडर:- मैग्नेटिक इंक कैरेक्टर रीडर को संक्षेप में एम0 आई 0 सी0 आर0 भी कहा जाता है। इसके द्वारा चेक एवं ड्राफ्ट पर लगी कोई विशेष प्रकार की स्याही को पढ़ने के लिए किया जाता है। मुख्यतः इसका प्रयोग बैंकों में किया जाता है।
10-वेब कैमरा:- वेब कैमरे का प्रयोग मुख्यत: तस्वीरों को खींचने या वीडियो बनाने के लिए किया जाता है। आजकल इसका मुख्यत: उपयोग वीडियो चैटिंग में किया जाता है।
2-केंद्रीय प्रोसेसिंग यूनिट Central processing unit:-Central processing unit is the most important unit of a computer system. It handles and controls all the parts of a computer. The efficiency, working speed and efficiency of computer systems all depend on the CPU. It is also called the brain of computer.
सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट कंप्यूटर के सर्वाधिक महत्वपूर्ण इकाई है। इसके द्वारा कंप्यूटर के समस्त भागो का संचालन एवं नियंत्रण किया जाता है। कंप्यूटर सिस्टम की कार्यकुशलता, कार्य करने की गति तथा दक्षता सभी सीपीयू पर ही निर्भर करती है।
सीपीयू के प्रमुख कारण निम्नवत है।
1-कंप्यूटर के सभी भाग अंगों का संचालन एवं नियंत्रण करना।
2-डाटा को प्रोसेस करना।
3-कंप्यूटर के विभिन्न भागों के मध्य हो रहे डाटा के आवागमन को नियंत्रित करना।
कंप्यूटर सीपीयू को तीन भागों में बांटा जा सकता है।
1-Arithmetical Logical Unit (अंकगणितीय तार्किक इकाई)
2-Control Unit(नियंत्रण इकाई)
3-Register(रजिस्टर)
1-Arithmetical Logical Unit (अंकगणितीय तार्किक इकाई):-अंकगणितीय तार्किक यूनिट का कार्य कंप्यूटर सिस्टम में सभी प्रकार की गणितीय गणना एवं तार्किक क्रियाओं को करना है। इसके द्वारा सभी प्रकार के गणितीय क्रियाएं एवं तार्किक क्रियाएं की जाती हैं। प्राथमिक मेमोरी द्वारा संग्रहित किया गया आंकड़े ए एल यू में भेज दिए जाते हैं तथा क्रिया के पश्चात पुनः उन्हें मेमोरी में वापस भेज दिया जाता है।
2-Control Unit(नियंत्रण इकाई):- कंप्यूटर सिस्टम द्वारा की जा रही सभी गतिविधियां तथा उसके हार्डवेयर का संचालन एवं नियंत्रण इसी भाग द्वारा किया जाता है। स्टोरेज यूनिट में संग्रहित निर्देशों को पढ़ने तथा उन्हें क्रियान्वित करने, डाटा को इनपुट इकाई से प्राप्त कर संचालित करने तथा प्रोसेसिंग के बाद प्राप्त परिणाम को आउटपुट यूनिट को देने का कार्य भी कंट्रोल यूनिट ही करता है।
3-Register(रजिस्टर):- रजिस्टर उच्च गति के छोटे परिपथ होते हैं। अंकीय तथा तार्किक क्रियाओं के बाद प्राप्त परिणामों को अस्थाई रूप से संग्रहित करने के लिए रजिस्टर का प्रयोग किया जाता है।
Memory unit (मेमोरी इकाई):- मेमोरी कंप्यूटर का वह भाग जो आंकड़ों तथा फाइलों को संग्रहीत करने के उपयोग में आता है। कंप्यूटर में डाटा को संग्रहित करने की निम्नतम इकाई को बिट कहते हैं। मेमोरी के मापन की प्रमुख ईकाई निम्नवत है।
2-माउस
3-जॉय स्टिक
4-लाइट पेन
5-स्कैनर
आदि
1-keyboard:- कीबोर्ड कंप्यूटर की सबसे प्रमुख इनपुट इकाई है। इसका प्रयोग कंप्यूटर में डाटा एवं निर्देशों को इनपुट करने के लिए किया जाता है। कीबोर्ड में 101 या उससे अधिक की हो सकती हैं। कीबोर्ड के की को तीन भागों में बांटा जा सकता है।
1-Alphabetic key:- अल्फाबेटीक की कुल संख्या 26 (A to Z)होती है । यह की कीबोर्ड के बीच में होते हैं। इनका प्रयोग अल्फाबेट को इनपुट करने के लिए किया जाता है।
2-Numeric key:-न्यूमैरिक की कुल संख्या 10 (0 से लेकर 9 तक)होती है। यह कीबोर्ड में दो जगहों पर स्थित होते हैं। अंको को इनपुट करने के लिए किया जाता है।
3-Special character key:- इन कीज का उपयोग विशेष चिन्हों (#,@,+,(,),",*,:,,; आदि)को इनपुट करने के लिए किया जाता है।
4-Arrow key:- Arrow की कुल संख्या 4 होती है। इसका प्रयोग एरो को चार अलग-अलग दिशाओं में ले जाने के लिए किया जाता है। ये कीबोर्ड में दो जगहों पर स्थित होते हैं।
5-Special key:- इन कीज का उपयोग विशेष कार्यों को करने के लिए किया जाता है। कुछ प्रमुख स्पेशल कीज निम्नवत हैं।
Enter, Caps lock, Backspace, Tab, Delete, Escape, Alt,Ctrl, Insert आदि।
6-Function key:- फंक्शन की का प्रयोग अलग अलग सॉफ्टवेयर में अलग अलग होता है। कल संख्या 12 (F1से F12 तक)होती है। यह कीबोर्ड की प्रथम पंक्ति में स्थित होती है।
2-Mouse:- माउस का आविष्कार सन 1977 मैं स्टैनफोर्ड लैबोरेटरी के वैज्ञानिक "डग्लस सी इ जेलवर्ट" ने किया था। इसका प्रयोग ग्राफिकल यूजर इंटरफेस आधारित ऑपरेटिंग सिस्टम में किया जाता है। मैं दो या तीन बटन होते हैं। इसका प्रयोग कर सर को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। इसकी सहायता से क्लिक, डबल क्लिक, राइट क्लिक, ड्रैगन ड्रॉप आदि क्रियाएं की जाती हैं। इसे पवाइंटिंग डिवाइस भी कहते हैं। माउस निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं।
1-mechanical Mouse
2-optical mouse
3-cordless mouse
3-जॉयस्टिक:- यह भी एक इनपुट डिवाइस है। इसमें हैंडल लगा होता जिसे 360 डिग्री पर घुमा सकते हैं। इसमें बटन भी लगे होते हैं जिसके द्वारा जॉयस्टिक को संचालित करते हैं। जॉयस्टिक गेमिंग और सिम्युलेशन एप्लिकेशन में उपयोगकर्ता अनुभव को सुधारता है।
4-ट्रैकबाल:- इसमें बाल ऊपरी सतह पर लगी होती है। इसे अंगूठे से घुमाते हैं और उंगलियां बटन पर होती हैं इसका प्रयोग अधिकतर लैपटॉप में होता है।
5-लाइटपेन:- यह एक पॉइंटिंग डिवाइस है जिसका प्रयोग माउस की तरह प्वाइंटर को स्क्रीन पर नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। इसमें पैड होता है और एक पेन होता है पेन को पैड पर चलाते हैं तो प्वाइंटर घूमता है। इसका प्रयोग कंप्यूटर पर चित्र, आकृति एवं हस्ताक्षर बनाने के लिए किया जाता है।6-स्कैनर:- कागज के ऊपर उपलब्ध किसी भी दस्तावेज अथवा तस्वीर को कंप्यूटर के मेमोरी में डिजिटल रूप में संग्रहित करने के लिए स्केनर का प्रयोग किया जाता है। स्केनर दस्तावेज को इलेक्ट्रॉनिक रूप में कंप्यूटर की मेमोरी में संग्रहित कर देता है।
7-ऑप्टिकल मार्क रीडर:- ऑप्टिकल मार्क रीडर को OMR भी कहा जाता है। इसका प्रयोग कागज पर पेंसिल या पेन के चिन्ह की उपस्थिति या अनुपस्थिति की जांच करने के लिए किया जाता है। इसका प्रयोग मुख्यत: उत्तर पुस्तिका के मूल्यांकन में किया जाता है।
8-बार कोड रीडर:- बारकोड रीडर का प्रयोग किसी व्यवसायिक उत्पाद के पैकेट पर छपे कोड को पढ़ने के लिए किया जाता है। इसके द्वारा उत्पाद से संबंधित जानकारी प्राप्त होती है। इसका प्रयोग शॉपिंग मॉल में एवं बड़े शहरों की दुकानों में किया जाता है।
9-मैग्नेटिक इंक कैरेक्टर रीडर:- मैग्नेटिक इंक कैरेक्टर रीडर को संक्षेप में एम0 आई 0 सी0 आर0 भी कहा जाता है। इसके द्वारा चेक एवं ड्राफ्ट पर लगी कोई विशेष प्रकार की स्याही को पढ़ने के लिए किया जाता है। मुख्यतः इसका प्रयोग बैंकों में किया जाता है।
10-वेब कैमरा:- वेब कैमरे का प्रयोग मुख्यत: तस्वीरों को खींचने या वीडियो बनाने के लिए किया जाता है। आजकल इसका मुख्यत: उपयोग वीडियो चैटिंग में किया जाता है।
2-केंद्रीय प्रोसेसिंग यूनिट Central processing unit:-Central processing unit is the most important unit of a computer system. It handles and controls all the parts of a computer. The efficiency, working speed and efficiency of computer systems all depend on the CPU. It is also called the brain of computer.
सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट कंप्यूटर के सर्वाधिक महत्वपूर्ण इकाई है। इसके द्वारा कंप्यूटर के समस्त भागो का संचालन एवं नियंत्रण किया जाता है। कंप्यूटर सिस्टम की कार्यकुशलता, कार्य करने की गति तथा दक्षता सभी सीपीयू पर ही निर्भर करती है।
सीपीयू के प्रमुख कारण निम्नवत है।
1-कंप्यूटर के सभी भाग अंगों का संचालन एवं नियंत्रण करना।
2-डाटा को प्रोसेस करना।
3-कंप्यूटर के विभिन्न भागों के मध्य हो रहे डाटा के आवागमन को नियंत्रित करना।
कंप्यूटर सीपीयू को तीन भागों में बांटा जा सकता है।
1-Arithmetical Logical Unit (अंकगणितीय तार्किक इकाई)
2-Control Unit(नियंत्रण इकाई)
3-Register(रजिस्टर)
1-Arithmetical Logical Unit (अंकगणितीय तार्किक इकाई):-अंकगणितीय तार्किक यूनिट का कार्य कंप्यूटर सिस्टम में सभी प्रकार की गणितीय गणना एवं तार्किक क्रियाओं को करना है। इसके द्वारा सभी प्रकार के गणितीय क्रियाएं एवं तार्किक क्रियाएं की जाती हैं। प्राथमिक मेमोरी द्वारा संग्रहित किया गया आंकड़े ए एल यू में भेज दिए जाते हैं तथा क्रिया के पश्चात पुनः उन्हें मेमोरी में वापस भेज दिया जाता है।
2-Control Unit(नियंत्रण इकाई):- कंप्यूटर सिस्टम द्वारा की जा रही सभी गतिविधियां तथा उसके हार्डवेयर का संचालन एवं नियंत्रण इसी भाग द्वारा किया जाता है। स्टोरेज यूनिट में संग्रहित निर्देशों को पढ़ने तथा उन्हें क्रियान्वित करने, डाटा को इनपुट इकाई से प्राप्त कर संचालित करने तथा प्रोसेसिंग के बाद प्राप्त परिणाम को आउटपुट यूनिट को देने का कार्य भी कंट्रोल यूनिट ही करता है।
3-Register(रजिस्टर):- रजिस्टर उच्च गति के छोटे परिपथ होते हैं। अंकीय तथा तार्किक क्रियाओं के बाद प्राप्त परिणामों को अस्थाई रूप से संग्रहित करने के लिए रजिस्टर का प्रयोग किया जाता है।
Memory unit (मेमोरी इकाई):- मेमोरी कंप्यूटर का वह भाग जो आंकड़ों तथा फाइलों को संग्रहीत करने के उपयोग में आता है। कंप्यूटर में डाटा को संग्रहित करने की निम्नतम इकाई को बिट कहते हैं। मेमोरी के मापन की प्रमुख ईकाई निम्नवत है।
1 Bit = Binary Digit (0 अथवा 1)8 Bits=1 Byte1024 bytes = 1 Kilo Byte1024 Kilobytes = 1 Mega Byte1024 Mega Bytes = 1 Giga Byte1024 Gigabytes = 1 Terra byte1024 Terra Bytes = 1 Peta bites
कंप्यूटर मेमोरी को दो भागों में विभक्त किया जा सकता है।
1-प्राथमिक मेमोरी (primary memory)
2-द्वितीयक मेमोरी (secondary memory)
1-प्राथमिक मेमोरी (primary memory):- प्राथमिक मेमोरी को मुख्य मेमोरी या आंतरिक मेमोरी भी कहते हैं। इस मेमोरी में सीपीयू द्वारा क्रियान्वित किए जा रहे डाटा तथा प्रोग्राम संग्रहित होते हैं। प्राथमिक मेमोरी की संग्रहण क्षमता कम होती है परंतु इसकी गति अधिक होती है। प्राथमिक मेमोरी को निम्नलिखित दो भागों में बांटा जा सकता है।
1-रैम(RAM)
2-रोम(ROM)
1-रैम(RAM):- यह एक अस्थाई मेमोरी होती है और कंप्यूटर को बंद करने पर इसमें संग्रह सूचनाएं नष्ट हो जाती है। सीपीयू द्वारा प्रोग्राम के क्रियान्वयन के पश्चात राम में संग्रह डाटा को हटाकर नए डेटा को राम में लोड किया जाता है। रैम निम्नलिखित दो प्रकार का होता है।
A-Dynamic RAM
B-Static RAM
A-डायनमिक रैम (Dynamic RAM):- डायनामिक रैम में लिखी गई सूचनाएं कुछ मिली सेकंड के बाद पुनः लिखनी पड़ती है नहीं तो यह समाप्त हो जाती हैं। इस राम की गति अधिक होती है परंतु संग्रहण क्षमता कम होती है।
B- स्टैटिक रैम(Static RAM):- इसमें संग्रहित सूचनाओं को बार-बार लिखने की आवश्यकता नहीं पड़ती। सूचना तब तक संग्रहित रहती है जब तक की विद्युत धारा प्रवाहित रहती है। इस रैम की संग्रहण क्षमता कम परंतु गति अधिक होती है। यह रैम स्टैटिक से महंगी होती है।
2- रीड ओनली मेमोरी (read only memory):- यह एक ऐसी में हो रही होती है जिसमें लिखी सूचनाओं को केवल पढ़ा जा सकता है इसमें नई सूचनाएं न तो लिखी जा सकती हैं और न ही लिखी गई सूचनाओं को बदला जा सकता है। या परमानेंट मेमोरी होती है इसमें लिखी गई सूचना कंप्यूटर के बंद होने के बाद भी समाप्त नहीं होती। रोम में संग्रह सूचनाओं को बायस (basic input output system BIOS) कहा जाता है।
रोम निम्नलिखित तीन प्रकार की होती हैं।
A-PROM(PROGRAMMABLE READ ONLY MEMORY)
B-EPROM(erasable programmable read only memory)
C-EEPROM(electrically erasable programmable read only memory)
A-PROM(PROGRAMMABLE READ ONLY MEMORY):- PROM में एक बार संगीत प्रोग्राम को न तो बदला जा सकता है और न ही हटाया जा सकता है।
B-EPROM(erasable programmable read only memory):- EPROM में संग्रह प्रोग्राम को पराबैगनी किरणों के सहायता से मिटाया जा सकता है तथा पुनः उपयोग करता इसमें नए प्रोग्राम संग्रहित कर सकता है।
C-EEPROM(electrically erasable programmable read only memory):- EEPROM में संग्रहित प्रोग्राम को भी बदला जा सकता है इस रैम में संगीत प्रोग्राम को मिटाने के लिए विद्युत विधि का प्रयोग किया जाता है।
1-प्राथमिक मेमोरी (primary memory)
2-द्वितीयक मेमोरी (secondary memory)
1-प्राथमिक मेमोरी (primary memory):- प्राथमिक मेमोरी को मुख्य मेमोरी या आंतरिक मेमोरी भी कहते हैं। इस मेमोरी में सीपीयू द्वारा क्रियान्वित किए जा रहे डाटा तथा प्रोग्राम संग्रहित होते हैं। प्राथमिक मेमोरी की संग्रहण क्षमता कम होती है परंतु इसकी गति अधिक होती है। प्राथमिक मेमोरी को निम्नलिखित दो भागों में बांटा जा सकता है।
1-रैम(RAM)
2-रोम(ROM)
1-रैम(RAM):- यह एक अस्थाई मेमोरी होती है और कंप्यूटर को बंद करने पर इसमें संग्रह सूचनाएं नष्ट हो जाती है। सीपीयू द्वारा प्रोग्राम के क्रियान्वयन के पश्चात राम में संग्रह डाटा को हटाकर नए डेटा को राम में लोड किया जाता है। रैम निम्नलिखित दो प्रकार का होता है।
A-Dynamic RAM
B-Static RAM
A-डायनमिक रैम (Dynamic RAM):- डायनामिक रैम में लिखी गई सूचनाएं कुछ मिली सेकंड के बाद पुनः लिखनी पड़ती है नहीं तो यह समाप्त हो जाती हैं। इस राम की गति अधिक होती है परंतु संग्रहण क्षमता कम होती है।
B- स्टैटिक रैम(Static RAM):- इसमें संग्रहित सूचनाओं को बार-बार लिखने की आवश्यकता नहीं पड़ती। सूचना तब तक संग्रहित रहती है जब तक की विद्युत धारा प्रवाहित रहती है। इस रैम की संग्रहण क्षमता कम परंतु गति अधिक होती है। यह रैम स्टैटिक से महंगी होती है।
2- रीड ओनली मेमोरी (read only memory):- यह एक ऐसी में हो रही होती है जिसमें लिखी सूचनाओं को केवल पढ़ा जा सकता है इसमें नई सूचनाएं न तो लिखी जा सकती हैं और न ही लिखी गई सूचनाओं को बदला जा सकता है। या परमानेंट मेमोरी होती है इसमें लिखी गई सूचना कंप्यूटर के बंद होने के बाद भी समाप्त नहीं होती। रोम में संग्रह सूचनाओं को बायस (basic input output system BIOS) कहा जाता है।
रोम निम्नलिखित तीन प्रकार की होती हैं।
A-PROM(PROGRAMMABLE READ ONLY MEMORY)
B-EPROM(erasable programmable read only memory)
C-EEPROM(electrically erasable programmable read only memory)
A-PROM(PROGRAMMABLE READ ONLY MEMORY):- PROM में एक बार संगीत प्रोग्राम को न तो बदला जा सकता है और न ही हटाया जा सकता है।
B-EPROM(erasable programmable read only memory):- EPROM में संग्रह प्रोग्राम को पराबैगनी किरणों के सहायता से मिटाया जा सकता है तथा पुनः उपयोग करता इसमें नए प्रोग्राम संग्रहित कर सकता है।
C-EEPROM(electrically erasable programmable read only memory):- EEPROM में संग्रहित प्रोग्राम को भी बदला जा सकता है इस रैम में संगीत प्रोग्राम को मिटाने के लिए विद्युत विधि का प्रयोग किया जाता है।
2-द्वितीयक मेमोरी (secondary memory):- द्वितीयक मेमोरी को सहायक मेमोरी (Auxiliary memory) या वाह्य मेमोरी (Secondary memory)भी कहते हैं। द्वितीयक मेमोरी प्राथमिक मेमोरी की तुलना में सस्ती होती है तथा इसकी संग्रहण क्षमता अधिक होती है। सुचनाओं को अस्थाई रूप से संग्रहित करने के लिए द्वितीयक मेमोरी का प्रयोग किया जाता है।
कुछ प्रमुख द्वितीयक मेमोरी उपकरण निम्नवत है।A-चुंबकीय टेप
B-फ्लॉपी डिस्क
C-हार्ड डिस्क
D-काम्पैक्ट डिस्क
E-पैन ड्राइव
F-मेमोरी कार्ड
A-चुंबकीय टेप(Magnetic tape):- चुंबकीय टेप एक आयताकार संरचना का उपकरण होता है। इसमें सैकड़ों फीट लंबी हरी लिया चुंबकीय टेप का प्रयोग होता है। इस टेप पर फेरस ऑक्साइड की लेप लगी होती है। इस पर read/write दोनों प्रकार के ऑपरेशन किए जा सकते हैं। इससे डाटा पढ़ने के लिए चुंबकीय टेप ड्राइव का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रयोग का बहुत सीमित मात्रा में होता है।
2-फ्लॉपी डिस्क(Floppy disk):- फ्लॉपी डिस्क चौकोर पतली एवं वजन में हल्की एक स्टोरेज इश्क है। इसकी डेटा भंडारण क्षमता 100 केबी से लेकर 2 एमबी तक हो सकती है। इस पर डाटा रीड/ राइट करने के लिए फ्लॉपी डिस्क ड्राइव की आवश्यकता होती है। वर्तमान में इसका प्रयोग न के बराबर हो रहा है।
आकर की द्रष्टि से फ्लॉपी (Floppy) दो प्रकार की होती है :-
1- 5½ व्यास वाली फ्लॉपी डिस्क (Floppy Disk)
2- 23½ व्यास वाली फ्लॉपी डिस्क (Floppy Disk)
1- 5½ व्यास वाली फ्लॉपी डिस्क (Floppy Disk) :- इसका अविष्कार सन 1976 में किया गया था तथा यह भी प्लास्टिक की जैकेट से सुरक्षित रहती है| इसकी संग्रह क्षमता 360 KB से 2.44 MB तक की होती है |
2- 3½ व्यास वाली फ्लॉपी डिस्क (Floppy Disk) :- इसका प्रयोग (use) सर्वप्रथम एप्पल कंप्यूटर (Apple computer) में किया गया था| जो पिछली फ्लॉपी की अपेक्षा छोटी होती है| इसकी संग्रह क्षमता 310 KB से 2.88 MB तक होती है|
3-हार्ड डिस्क(Hard disc):- हार्ड डिस्क कंप्यूटर भंडारण में प्रयुक्त होने वाले सर्वाधिक महत्वपूर्ण इकाई है। इस ए फिक्स्ड डिस्क भी कहा जाता है क्योंकि इसको स्थाई रूप से सीपीयू के अंदर लगा दिया जाता है।हार्ड डिस्क मैं कई वृत्ताकार प्लेटें एक ही दूरी पर जुड़े रहती हैं इन प्लेटों की दोनों सतहों पर डाटा स्टोर किया जाता है। प्रत्येक सता के लिए एक अलग रीड राइट हेड होता है जो उस सतह पर डाटा को लिखने पढ़ने का कार्य करता है। हार्ड डिस्क की संग्रहण क्षमता GBसे लेकर TB तक होती है।
3-हार्ड डिस्क(Hard disc):- हार्ड डिस्क कंप्यूटर भंडारण में प्रयुक्त होने वाले सर्वाधिक महत्वपूर्ण इकाई है। इस ए फिक्स्ड डिस्क भी कहा जाता है क्योंकि इसको स्थाई रूप से सीपीयू के अंदर लगा दिया जाता है।हार्ड डिस्क मैं कई वृत्ताकार प्लेटें एक ही दूरी पर जुड़े रहती हैं इन प्लेटों की दोनों सतहों पर डाटा स्टोर किया जाता है। प्रत्येक सता के लिए एक अलग रीड राइट हेड होता है जो उस सतह पर डाटा को लिखने पढ़ने का कार्य करता है। हार्ड डिस्क की संग्रहण क्षमता GBसे लेकर TB तक होती है।
4-आप्टिकल डिस्क (Optical Disk):- एक चपटा, वृत्ताकार पोलिकर्बिनेट डिस्क होता है, जिस पर डाटा एक Flat सतह के अन्दर Pits के रूप में Store किया जाता हैं इसमें डाटा को Optical के द्वारा Store किया जाता है|ऑप्टिकल डिस्क दो प्रकार की होती है।
1-CD
2-DVD
1-CD:- सबसे पहले बात करते है सीडी की, सीडी का हम काम्पैक्ट डिस्क के नाम से भी पुकारते हैं ये एक ऐसा ऑप्टिकल मीडियम होता है जो हमारे डिजिटल डेटा का सेव करता है। एक समय था जब हम रील वाले कैसेट प्रयोग करते थी, सीडी के अर्विष्कार ने ही बाजार में कैसेटों को पूरी तरह से खत्म कर दिया। एक स्टैंडर्ड सीडी में करीब 700 एमबी का डेटा सेव किया जा सकता है। सीडी में डेटा डॉट के फार्म में सेव होता है, दरअसल सीडी ड्राइव में लगा हुआ लेजर सेंसर सीडी के डॉट से रिफलेक्ट लाइट का पढ़ता है और हमारी डिवाइस में इमेज क्रिएट करता है।
2-DVD:- डीवीडी यानी डिजिटल वर्सटाइल डिस्क, सीडी के बाद डीवीडी का आगाज हुआ वैसे तो देखने में दोनों सीडी और डीवीडी दोनों एक ही जैसे लगते है मगर इनकी डेटा कैपसेटी में अंतर होता है सीडी के मुकाबले डीवीडी में ज्यादा डेटा सेव किया जा सकता है। मतलब डीवीडी में यूजर करीब 4.7 जीबी से लेकर 17 जीबी तक डेटा सेव कर सकता है। डीवीडी के आने के बाद बाजार में सीडी की मांग में भारी कमी देखी गई।
5-पेन ड्राइव (Pen Drive):- को ही Flash Drive के नाम से जाना जाता हैं आज कल सबसे ज्यादा Flash Drive का Use डाटा Store करने के लिए किया जाता है यह एक External Device है जिसको Computer में अलग से Use किया जाता हैं | यह आकार में बहुत छोटे तथा हल्की भी होती हैं, इसमें Store Data को पढ़ा भी जा सकता है और उसमे सुधार भी किया जा सकता हैं | Flash Drive में एक छोटा Pried Circuit Board होता है जो प्लास्टिक या धातु के Cover से ढका होता हैं इसलिए यह मजबूत होता है | यह Plug-and-Play उपकरण है | आज यह सामान्य रूप से 2 GB, 4 GB, 8 GB, 16 GB, 32 GB, 64 GB, 128 GB आदि क्षमता में उपलब्ध हैं
6-मेमोरी काड(Memory Card):- मेमोरी कार्ड का प्रयोग कैमरा, मोबाइल, तथा कंप्यूटर में डाटा स्टोर करने के लिए किया जाता है। इसकी संग्रहण क्षमता 1जीबी से लेकर 32जीबी तक हो सकती है।
आउटपुट यूनिट (Output Unit):-The
output unit is used to display data and results.
आउटपुट यूनिट का प्रयोग डाटा तथा परिणामों को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है। कुछ प्रमुख आउटपुट उपकरण निम्नवत है।
1-मॉनिटर
2-प्रिंटर
3-प्लॉटर
4-स्पीकर
1-मॉनिटर:- मॉनिटर एक प्रमुख आउटपुट उपकरण है। इसे कंप्यूटर स्क्रीन या विजुअल डिस्प्ले यूनिट भी कहा जाता है। इस पर प्रदर्शित डाटा को देखा जा सकता है। स्क्रीन या मॉनिटर पर आउटपुट को दिखाने की प्रक्रिया डिस्प्ले कहलाती है। मॉनिटर ने कोई भी आकृति छोटे-छोटे बिंदुओं से मिलकर बनती है जिन्हें पिक्सेल कहते हैं। ये पिक्सेल मॉनिटर में रो तथा कॉलम के रूप में व्यवस्थित रहते हैं।इसको विजुअल डिस्प्ले यूनिट भी कहा जाता है। यह देखने में टीवी की तरह होता है। माॅनीटर एक सबसे महत्वपूर्ण आउटपुट डिवाइस है। इसके बिना कम्प्यूटर अधूरा होता है। यह आउटपुट को अपनी स्क्रीन पर Soft copy के रूप में प्रदर्शित करता है।
रंग के आधार पर मॉनिटर का वर्गीकरण
1-मोनोक्रोम मॉनिटर
2-ग्रे-स्केल मॉनिटर
3-कलर मॉनिटर
1-मोनोक्रोम (Monochrome):- यह शब्द दो शब्दों मोनो(Mono)अर्थात एकल (Single) तथा क्रोम (Chrome) अर्थात रंग (Color) से मिलकर बना है इसलिये इसे Single
Color Display कहते है तथा यह मॉनीटर आउटपुट को Black
& -रूप में प्रदर्शित (Display) करता है।
2-ग्रे-स्केल (Gray-Scale):-यह मॉनीटर मोनोक्रोम जैसे ही होते हैं लेकिन यह किसी भी तरह के Display को (Gray
Shades) में प्रदर्शित(Show) करता हैं इस प्रकार के मॉनीटर अधिकतर हैंडी कंप्यूटर जैसे लैप टॉप (Laptop) में प्रयोग किये जाते हैं।
3-रंगीन मॉनीटर (Color
Monitors):-ऐसा मॉनीटर RGB
(Red-Green-Blue) विकिरणों के समायोजन के रूप में आउटपुट को प्रदर्शित करता है सिद्धांत के कारण ऐसे मॉनीटर उच्च रेजोल्यूशन(Resolution) में ग्राफिक्स (Graphics) को प्रदर्शित करने में सक्षम होते हैं । कंप्यूटर मेमोरी की क्षमतानुसार ऐसे मॉनीटर 16 से लेकर 16 लाख तक के रंगों में आउटपुट प्रदर्शित करने की क्षमता रखते हैं।
तकनीक के आधार पर मॉनिटर का वर्गीकरण
1-CRT
Monitor
2-LCD (Liquid Crystal Display)
2-LCD (Liquid Crystal Display)
3-LED (
Light Emitting Diode)
1 -CRT Monitor:- CRT Monitor:- सबसे ज्यादा Use होने वाला Output
Deviceहैं जिसे VDU
(Visual display Unit) भी कहते हैं इसका Main
Part cathode Ray tubeहोती हैं जिसे Generally
Picture tubeकहते हैं अधिकतर मॉनीटर में पिक्चर ट्यूब एलीमेंट होता है जो टी० वी० सेट के समान होता है यह ट्यूब C.R.T. कहलाती है यह तकनीक सस्ती और उत्तम कलर में आउटपुट प्रदान करती है CRTमें Electron
gun होता है जो की electrons की एक beamऔर cathode
raysको उत्सर्जित करती है ये Electron
beam, Electronic grid से पास की जाती है ताकिelectronकी Speed को कम किया जा सके CRT
Monitor पर फास्फोरस की Coding की जाती है इसलिए जैसे ही electronic
beam Screenसे टकराती है तो Pixel चमकने लगते हैं और Screenपर Imageदिखाई देता हैं।
2-LCD (Liquid Crystal Display) :- Liquid Crystal Display कोLCD के नाम से भी जाना जाता हैं यह Digital Technology हैं जो एक Flat सतह पर तरल क्रिस्टल के माध्यम से आकृति बनाता हैं यह कम जगह लेता है यह कम ऊर्जा लेता है तथा पारंपरिक Cathode ray tube Monitor की अपेक्षाकृत कम गर्मी पैदा करता हैं यह Display सबसे पहले Laptopमें Use होता था परन्तु अब यह स्क्रीन Desktop Computerके लिए भी प्रयोग हो रहा हैं।
2-LCD (Liquid Crystal Display) :- Liquid Crystal Display कोLCD के नाम से भी जाना जाता हैं यह Digital Technology हैं जो एक Flat सतह पर तरल क्रिस्टल के माध्यम से आकृति बनाता हैं यह कम जगह लेता है यह कम ऊर्जा लेता है तथा पारंपरिक Cathode ray tube Monitor की अपेक्षाकृत कम गर्मी पैदा करता हैं यह Display सबसे पहले Laptopमें Use होता था परन्तु अब यह स्क्रीन Desktop Computerके लिए भी प्रयोग हो रहा हैं।
2-प्रिंटर(Printer):- प्रिंटर का प्रयोग आंकड़ों तथा सूचनाओं को कागज पर प्रिंट करने के लिए किया जाता है। प्रिंटर पर प्रदर्शित सूचनाओं को हार्ड कॉपी कहते हैं। तकनीक के आधार पर प्रिंटर निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं।
1-इंपैक्ट प्रिंटर
2-नॉन इंपैक्ट प्रिंटर
1-Impact Printer (इंपैक्ट प्रिंटर):- इंपैक्ट प्रिंटर वे प्रिंटर होते हैं जिनमें प्रिंट हेड और पेपर के बीच संपर्क होता है। प्रत्येक करैक्टर को प्रिंट करने के लिए प्रिंट हेड पेपर पर टकराता है। इसमें प्रिंट हेड के रूप में धातु के एक हैमर का प्रयोग किया जाता है जो कागज पर रिबन के ऊपर टकराता है। इस टकराव के कारण प्रिंटहेड की आकृति पेपर पर छप जाती है। इंपैक्ट प्रिंटर की श्रेणी में निम्नलिखित प्रिंटर आते हैं।
- DOT MATRIX PRINTER
- DAISY WHEEL PRINTER
- LINE PRINTER
- CHAIN PRINTER
- DRUM PRINTER
2-Non-Impact Printer(नॉन इंपैक्ट प्रिंटर):-वे प्रिंटर जिनमें प्रिंटहेड और पेपर के बीच संपर्क नहीं होता है नान-इंपैक्ट प्रिंटर कहलाते हैं।नान-इंपैक्ट प्रिंटर होगी प्रिंटिंग क्वालिटी उच्च स्तर की होती है। नान इंपैक्ट प्रिंटर की श्रेणी में निम्नलिखित प्रिंटर आते हैं।
- LASER PRINTER
- INKJET PRINTER
- MULTI FUNCTION PRINTER
- THERMAL PRINTER
प्रमुख प्रिंटर
1-Dot Matrix Printer(डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर):- यह प्रिंटर इंपैक्ट प्रिंटर है। इस प्रिंटर के प्रिंटर हेड में अनेक तीनों का एक मात्र लगा होता है जो प्रत्येक पिन के रिबन और कागज पर स्पर्श करने से एक डाट छपता है।अनेक डॉट मिलकर एक करैक्टर बनाते हैं प्रिंटहेड में 7,9 ,14 18 या 24 पिन का उर्धवाधर समूह होता है । एक बार में एक कॉलम की पिन प्रिंटहेड्स बाहर निकल कर एक डांट छापती हैं जिससे एक करैक्टर अनेक चरणों में बनता है और लाइन की दिशा में प्रिंट है आगे बढ़ता जाता है। डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर की गति 30 से 600 करैक्टर प्रति सेकंड हो सकती है। इस प्रिंटर की प्रिंटिंग क्वालिटी अच्छी नहीं होती।
2-Daisy Wheel Printer(डेज़ी व्हील प्रिंटर):- यह ठोस मुद्रा अक्षर वाला एक इंपैक्ट प्रिंटर है। इसके प्रिंट-हेड की आकृति डेजी फूल के समान होती है इसलिए इसे डेजी व्हील प्रिंटर कहा जाता है। यह प्रिंटर उच्च क्वालिटी का प्रिंटआउट करता है परंतु इसकी गति धीमी होती है। इसके प्रिंटहेड में एक चक्र होता है जिसकी स्पोक में एक करैक्टर का ठोस स्पोक विल्के घूमने से प्रिंट पोजीशन में आकर एक हैमर द्वारा रिबन के ऊपर कागज पर टकराता है जिससे एक करैक्टर प्रिंट हो जाता है।
3-Line Printer(लाइन प्रिंटर):- लाइन प्रिंटर भी एक इंपैक्ट प्रिंटर है। इसका प्रयोग बड़े आकार के कंप्यूटरों में किया जाता है। इसकी गति बहुत अधिक होती है। यह एक मिनट में 300 से 3000 लाइन प्रिंट कर सकता है। इन टेंडरों का प्रयोग मिनी तथा मेनफ्रेम कंप्यूटर में किया जाता है। लाइन प्रिंटर की श्रेणी में निम्न तीन प्रिंटर आते हैं।
4-Laser Printer(लेजर प्रिंटर):- लेजर प्रिंटर एक नॉन इंपैक्ट प्रिंटर है।इस प्रिंटर में प्रिंट करने के लिए सुखी इंक का प्रयोग किया जाता है। यह प्रिंटर भी प्रिंट करने के लिए डॉट्स का प्रयोग करता है। यह डॉट्स बहुत ही छोटे व पास पास होने के कारण बहुत स्पष्ट प्रिंट गुणवत्ता प्रदान करते हैं। इस प्रिंटर द्वारा 300 से लेकर 600 D.P.I. तक या उससे अधिक रिजर्वेशन की छपाई की जा सकती है। इन्वेंटर की गुणवत्ता बहुत ही अच्छी होती है। इनका प्रयोग करके रंगीन तथा ब्लैक एंड वाइट दोनों प्रकार के प्रिंट लिए जा सकते हैं।
5-Inkjet printer (इंकजेट प्रिंटर):- इंकजेट प्रिंटर भी एक नॉन इंपैक्ट प्रिंटर है। इसमें एक नोजेल द्वारा कागज पर स्याही की बूंदों की बौछार करके करैक्टर व ग्राफिक्स प्रिंट किए जाते हैं। इस प्रिंटर का आउटपुट बहुत स्पष्ट होता है क्योंकि इसमें अक्षर का निर्माण कई दांत से मिलकर होता है।इस प्रिंटर की प्रिंट क्वालिटी प्राय: 300 dot per inch होती है।
3-Plotter(प्लॉटर):- प्लॉटर भी एक प्रमुख आउटपुट इकाई है। इसका प्रयोग चित्रों को छापने के लिए किया जाता है। प्लास्टर का उपयोग मानचित्र, ग्राफों को बनाने तथा छापने के लिए किया जाता है।
प्लॉटर निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं।
2-Flatbed Plotter(फ्लैट प्लॉटर ):- इसमें कागज को स्थिर अवस्था में एडवर्ड या ट्रे पर रखा जाता है। इसमें एक भुजा पर pan लगा रहता है जो मोटर से कागज पर ऊपर नीचे तथा दाएं बाएं घूम कर चित्र आकृति का निर्माण करता है इसमें पेन कंप्यूटर से नियंत्रित होता है।
2-Daisy Wheel Printer(डेज़ी व्हील प्रिंटर):- यह ठोस मुद्रा अक्षर वाला एक इंपैक्ट प्रिंटर है। इसके प्रिंट-हेड की आकृति डेजी फूल के समान होती है इसलिए इसे डेजी व्हील प्रिंटर कहा जाता है। यह प्रिंटर उच्च क्वालिटी का प्रिंटआउट करता है परंतु इसकी गति धीमी होती है। इसके प्रिंटहेड में एक चक्र होता है जिसकी स्पोक में एक करैक्टर का ठोस स्पोक विल्के घूमने से प्रिंट पोजीशन में आकर एक हैमर द्वारा रिबन के ऊपर कागज पर टकराता है जिससे एक करैक्टर प्रिंट हो जाता है।
3-Line Printer(लाइन प्रिंटर):- लाइन प्रिंटर भी एक इंपैक्ट प्रिंटर है। इसका प्रयोग बड़े आकार के कंप्यूटरों में किया जाता है। इसकी गति बहुत अधिक होती है। यह एक मिनट में 300 से 3000 लाइन प्रिंट कर सकता है। इन टेंडरों का प्रयोग मिनी तथा मेनफ्रेम कंप्यूटर में किया जाता है। लाइन प्रिंटर की श्रेणी में निम्न तीन प्रिंटर आते हैं।
- ड्रम प्रिंटर
- चैन प्रिंटर
- बैंड प्रिंटर
4-Laser Printer(लेजर प्रिंटर):- लेजर प्रिंटर एक नॉन इंपैक्ट प्रिंटर है।इस प्रिंटर में प्रिंट करने के लिए सुखी इंक का प्रयोग किया जाता है। यह प्रिंटर भी प्रिंट करने के लिए डॉट्स का प्रयोग करता है। यह डॉट्स बहुत ही छोटे व पास पास होने के कारण बहुत स्पष्ट प्रिंट गुणवत्ता प्रदान करते हैं। इस प्रिंटर द्वारा 300 से लेकर 600 D.P.I. तक या उससे अधिक रिजर्वेशन की छपाई की जा सकती है। इन्वेंटर की गुणवत्ता बहुत ही अच्छी होती है। इनका प्रयोग करके रंगीन तथा ब्लैक एंड वाइट दोनों प्रकार के प्रिंट लिए जा सकते हैं।
5-Inkjet printer (इंकजेट प्रिंटर):- इंकजेट प्रिंटर भी एक नॉन इंपैक्ट प्रिंटर है। इसमें एक नोजेल द्वारा कागज पर स्याही की बूंदों की बौछार करके करैक्टर व ग्राफिक्स प्रिंट किए जाते हैं। इस प्रिंटर का आउटपुट बहुत स्पष्ट होता है क्योंकि इसमें अक्षर का निर्माण कई दांत से मिलकर होता है।इस प्रिंटर की प्रिंट क्वालिटी प्राय: 300 dot per inch होती है।
3-Plotter(प्लॉटर):- प्लॉटर भी एक प्रमुख आउटपुट इकाई है। इसका प्रयोग चित्रों को छापने के लिए किया जाता है। प्लास्टर का उपयोग मानचित्र, ग्राफों को बनाने तथा छापने के लिए किया जाता है।
प्लॉटर निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं।
- Drum Pen Plotter
- Flatbed Plotter
2-Flatbed Plotter(फ्लैट प्लॉटर ):- इसमें कागज को स्थिर अवस्था में एडवर्ड या ट्रे पर रखा जाता है। इसमें एक भुजा पर pan लगा रहता है जो मोटर से कागज पर ऊपर नीचे तथा दाएं बाएं घूम कर चित्र आकृति का निर्माण करता है इसमें पेन कंप्यूटर से नियंत्रित होता है।
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